शनिवार, 19 मार्च 2016

रंग बदलना(व्यंग)

मेट्रो में सवारी करने का मिला मौका l
उसमे चल रहा था ठंडी हवा का झॉका l
स्टेशन आया रुकी गाड़ी, डोर खुला l
और तभी चढ़ी कुछ अबला नारी l
तभी हो गयी मुझसे एक गलती भारी l
एक नारी को महिला कहकर क्या बुलाया l
उसका चेहरा गुस्से से तमतमाया ll

बोली ……………………….

क्या मै तुम्हें महिला नजर आती हूँ l
मेरी उम्र ही क्या है अभी तो मै l
खुद एक बच्ची नज़र आती हूँ ll

मै बोला ………………………..

माफ़ करना महिला कहकर नहीं बुलाऊंगा l
सबको अपने से कम उम्र का ही बताऊंगा ll

समय बिता…………………………….

एक दिन फिर मेट्रो मै वो नज़र आई l
मुझे महिला सीट पर बैठा देख पास आई l
बोली माफ़ करना उठिए ये महिला सीट हैl
मै बोला आज आप महिला कैसे हो गयी l
उस दिन क्यों मुझ पर लाल-पीला हो गयीl
वो बोली सीट का कमाल है मेरे भाई l
यहाँ सीट के लिए महिला तो क्या l
बुजुर्ग बनने मै भी नहीं है कोई बुराई ll
तभी समझ गया गिरगिट है ये इंसान l
कब रंग बदल ले नहीं कर सकते पहचान ll

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