सोमवार, 7 मार्च 2016

महाशिवरात्रि जब से मंदिरों में कलह का घंटा बजने लगा है , मन बार - बार सीढियाँ चढ़ता , फिर उतरने लगा है अगरबत्ती में भर गई है मरघट की गंध हवन की समिधा में दहशत के अनुबंध ऐसे में शंकर लापता है हिमालय में जा बसा है भोले शंकर , त =?UTF-8?B?4KWB4KSu4KWN4KS54KWH4KSCIOCkq +Ckv+CksCDgpLjgpYcg4KSu4KSC4KSm?= िरों में आना होगा नहीं तो कलयुग और तबाही मचायेगा लोग अपने अपने घरों से हाथ जोड़ लेंगे धर्म भूखा सो जायेगा अक्षत , पुष्प और चन्दन लिए शंकर तुम्हें आमंत्रित करते हैं कृपा करो अब लौट आओ शंकर अब लौट आओ शंकर l

Share Button
Read Complete Poem/Kavya Here महाशिवरात्रि जब से मंदिरों में कलह का घंटा बजने लगा है , मन बार - बार सीढियाँ चढ़ता , फिर उतरने लगा है अगरबत्ती में भर गई है मरघट की गंध हवन की समिधा में दहशत के अनुबंध ऐसे में शंकर लापता है हिमालय में जा बसा है भोले शंकर , तुम्हें फिर से मंदिरों में आना होगा नहीं तो कलयुग और तबाही मचायेगा लोग अपने अपने घरों से हाथ जोड़ लेंगे धर्म भूखा सो जायेगा अक्षत , पुष्प और चन्दन लिए शंकर तुम्हें आमंत्रित करते हैं कृपा करो अब लौट आओ शंकर अब लौट आओ शंकर l

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें