कहते है जिंदगी बहुत कुछ सिखला देती है रोने और मुस्कुराने की अदा सिखला देती है कुछ सीखकर बन जाते सरताज दुनिया के कुछ को उलझाकर जीने की अदा भुला देती है !! ! ! ! डी. के. निवातियां___!!!
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