हर रोज किसी ना किसी की मौत की खबर आती हैं ।
  मुझको भी अब मेरी मंजिल साफ नजर आती हैं ।
  गुजरता है जब मेरी गली से भी किसी का जनाजा ,
  मेरी जिंदगी भी नजर मुझे मुख़्तसर आती हैं ।
  क्या करेंगे खुदा से हम उम्र-ए दराज मांग कर ,
  सालो साल जीने के बाद भी मौत तो मगर आती है ।
  मौत से कोन बच पाया है आज तक “एझाझ”
  तुम जिधर भी चले जाओ ये उधर आती है ।
                                               -एझाझ अहमद 

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