हाइकू । चुनती ओस ।
उगता आता
फूल खिला नभ में
महके धरा
किरणें दौड़ी
रातों के बिखरें आंसू
चुनती ओस
युवा सूरज
धूप सहे धरती
सूखी नदियाँ
सन्ध्या हसती
दूर क्षितिज तक
मुस्काती धुंध
जगती रात
पसरा ये सन्नाटा
सुने उलूक
@राम केश मिश्र
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