रविवार, 22 नवंबर 2015

Haiku हाइकू । कब आओगे ।

हाइकू। कब आओगे ।

चाँद अकेले
नभ में तारों संग
आज है तन्हा

शाम ढली है
रात भरे खर्राटे
नदी किनारे

फूल लालची
कलियां मुँह खोले
पियें चांदनी

हँसी ले रहे
घन लगा ठहाके
सन्नाटे बोले

पहने स्नेह
धरती हरियाली
उम्र नादान

जगाने आया
बेसुध पड़ी रात
भोर का तारा

आँखे उदास
इंतजार का दुःख
दर्पण नदी

प्रतिबिम्बित
आज रूप तुम्हारा
देखेगा चाँद

आह से डरे
महकते वो फूल
भावना खिली

तुम आ जाओ
तन में लगी आग
जलती नदी

स्मृति के पार
रात ढलेगी, उम्र
कब आओगे

@राम केश मिश्र

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