यह जिंदगी धूप-छाँव जैसी,
कभी उजाला, कभी अंधेरा
हर कोई मेहमान जैसा
कभी यहाँ तो कभी वहाँ !
दुनिया में आए तो जुड जाते है
अनगिनत रिश्तों की कडियाँ
अजनबी सा माहोल मुस्कुराने लगे
जब शुरु होतीं हैं साँसों की घडियाँ !
जिंदगी का ताना-बाना बदलता है
कहीं सहारा, कहीं बसेरा
उलझन की सुइयों में धागा फिरोए
सबका इन्साफ करे वक्त अकेला !
दूरियाँ-नजदीकियाँ किस्से बनाती है
कभी खुशी, कभी आँसुओं का
मौसम की तरह करवटे लेती है
हर रिश्ता है पहेली जस्बातों का !
यह जिंदगी कोरे कागज जैसी
कोई लिखता, कोई परखता
हर इम्तिहान हिसाब जैसा
कुछ यहाँ तो कुछ वहाँ !!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें