hindi sahitya
मंगलवार, 1 मार्च 2016
सनम पे....
जीने की लत्त तुझे हो शायद
ऐ-ज़िंदगी,
हमें तो मरने की है,हर बार
सनम पे,
————————
…..इंदर भोले नाथ……..
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सनम पे....
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