मंगलवार, 1 मार्च 2016

सनम पे....

जीने की लत्त तुझे हो शायद
ऐ-ज़िंदगी,
हमें तो मरने की है,हर बार
सनम पे,

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…..इंदर भोले नाथ……..

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