गिरधर मुरारी
  राधा ढूंढ रही
  जमुना के तीर….!!!
सखियो से पूछे
  सहेलियों से पूछे
  कही देखे किसी ने
  यशोदा के क्रष्णवीर….!!!
कहा छुप गये……..!!
कदम्ब पे ढूंढा
  गलियो में ढूंढा
  खोजत खोजत
  तेरी राधा हुई अधीर….!!! 
कहा छुप गये…!!
बसंत में कोयल
  अमवा पे कूके
  तू बंसी काहे न फूके
  सुनने को राधा भई अधीर….!!! 
कहा छुप गये
  गिरधर मुरारी
  राधा ढूंढ रही
  जमुना के तीर….!!!
( डी. के. निवातियाँ )
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