बुधवार, 20 मई 2015

इस बार

इस बार फिर कुछ पुरानी चीज़े मिल गई,
दिवाली की सफाई में,हर अलमारी खुल गई।
कुछ सपने मिले किसी कागज़ पे लिखे हुए,
और धुंधले हो चुके कुछ वादे लिखे मिले .
उन्ही सपने और वादों के पीछे एक तस्वीर भी पड़ी मिली।
होठो पे मुस्कान,माथे पर बिंदी और आँखे ज़रा नीली .

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