इस बार फिर कुछ पुरानी चीज़े मिल गई,
   दिवाली की सफाई में,हर अलमारी खुल गई।
   कुछ सपने मिले किसी कागज़ पे लिखे हुए,
   और धुंधले हो चुके कुछ वादे लिखे मिले .
   उन्ही सपने और वादों के पीछे एक तस्वीर भी पड़ी मिली।
   होठो पे मुस्कान,माथे पर बिंदी और आँखे ज़रा नीली .

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें