गुरुवार, 21 मई 2015

मानव -सेवा

ईश्वर को सब पूजते, जाते मंदिर धाम l
मात-पिता के चरणों में, बसे है चारों धाम l
उनकी सेवा मात्र से,प्रसन्न हो भगवान l
जन्म सफल हो जायेंगे,करो यदि ये काम ll

मानव सेवा सच्ची सेवा, जो करे सुख पायेl
मन की शांति उसे मिले, जन्म सफल हो जाये l
भूखे को रोटी खिला, प्यासे को पिला पानी l
उनके आशीर्वाद से, कभी न हो तुझे हानि ll

नारी है नारायणी,जो उसको दे सम्मान l
लक्ष्मी घर विराजेंगी,भरे उसके धन-धानl
माँ ,बहन, बेटी में,देवी का रूप समाये l
इनकी सेवा मात्र से, कोई विघ्न न आये ll

बच्चें है ईश्वर का रूप,ईश्वर का अंश समाये l
छल-कपट बहुत दूर है,तभी मन को वो भाये l
इस सच्चाई को यदि,हम सब ये समझ जाये l
न हो कोई दुश्मनी,बैर जन्म ना कभी ले पाये ll

ईश्वर सब के मन में,रहता है विराजमान l
सच्ची सेवा मात्र से,दर्शन दें भगवान l
मंदिर पूजों चाहे तुम, कर लो चारों धाम l
बिन मानव सेवा के, अधूरे है सब काम ll

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