बुधवार, 20 मई 2015

अन्गिनत

मेरा दिल,
धड्के कई बार,
कुछ सोचकर,
वह है तैयार,
इस मुकाबले को,
जीतने तो दो।

अन्गिनत है यह सासे,
अन्गिनत है यह बाते,
ये धड्कने जो है चल रही,
इनसे ही है मेरी जिन्दगी।

अन्गिनत खयाल आते है मन मे,
अन्गिनत मुस्कुराहटे आती है लबो पे,
फिर भी घम से भय नही,
क्योन्कि वो तो मेरी खुशीयो से मीलो दूर है रेहती।

अपनी हर अदा पर,
है वह मौला फिदा, मगर,
कुछ बाते है ऐसी,
जो लाये अन्गिनत खुशी।

अन्गिनत बार,
कहता है दिल ये बेकरार,
कि छू लो ये सन्सार,
दिखाकर अपना जज्बा और प्यार।

अन्गिनत गलीया,
अन्गिनत कहानिया,
अन्गिनत सपने,
अन्गिनत राहे।

कैसे झेलेन्गे इनको,
इन्की अन्गिनत ख्वाहिशे,
अन्गिनत आबादी है इस सन्सार मे,
हर आदमी की अन्गिनत चाहते।

अन्गिनत वादे,
अन्गिनत इरादे,
अन्गिनत यादे,
अन्गिनत लम्हे।

अन्गिनत खुशीया फैले,
हर मनुष्य खुश रहे,
न हो मोह-माया,
जिन्होने अपने सपने पूरे किये, उन्ही ने है आनन्द पाया।

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