सोमवार, 25 मई 2015

नारी जहां पूजते है

मै मुस्कुराना चाहती हूँ
पर लोग ताकने लगते है
दबी दबी हशती हूँ तो
लोग टोकने लगते है

आश्मानो से ऊँचा
उड़ना चाहती हूँ
बन्द कमरो मे लोग
खरोचने लगते है

सास बहू के बन्धन
टूटना चाहूँ तो
तो गलियो मे
भेड़िये नौचने लगते है

अब अपने अक्श को
बनाऊँ या बचाऊँ मै
इस दरिन्दगी में
बनूँ या लुट जाऊँ मै

लगता है लोग यहां
कोरी बकवास करते है
नारी जहां पूजते है
वहां देवता निवास करते है

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