शनिवार, 16 मई 2015

अफसरसाही

एक जवान अफसर के घर
चौकीदार बन जाता है
बचाने को नौकरी अपनी
बेचारा क्या क्या कर जाता है

कोई घुमाता कुत्ते को
कोई खरगोश खिलाता है
करता चाकरी मेमसाब की
दोनों को सलाम बजाता है

गमलों को उठा कर रखता
जूते भी चमकाता है
देश का सेवक देखो
घर में झाड़ू लगाता है

बना दिया धोबी जवान को
कपडे इनके सुखाता है
बदलता है बच्चों की नैपी
मोज़े भी पहनाता है

उठाकर थैला कंधे पर
स्कूल छोड़ने जाता है
और अपने घर में देखो
कभी कभी बतलाता है

नहीं दे पाता वक़्त खुदी को
सेवा में वक़्त बिताता है
चाय की चुस्कियों पर साहब
इनका मंद मंद मुस्काता है

पढ़े लिखे इन नादानों को
कौन यहाँ समझाता है
हे अफसरसाही तेरे आगे
सारा देश सिर झुकाता है

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