एक जवान अफसर के घर
  चौकीदार बन जाता है
  बचाने को नौकरी अपनी
  बेचारा क्या क्या कर जाता है 
कोई घुमाता कुत्ते को
  कोई खरगोश खिलाता है
  करता चाकरी मेमसाब की
  दोनों को सलाम बजाता है 
गमलों को उठा कर रखता
  जूते भी चमकाता है
  देश का सेवक देखो
  घर में झाड़ू लगाता है 
बना दिया धोबी जवान को
  कपडे इनके सुखाता है
  बदलता है बच्चों की नैपी
  मोज़े भी पहनाता है 
उठाकर थैला कंधे पर
  स्कूल छोड़ने जाता है
  और अपने घर में देखो
  कभी कभी  बतलाता है
नहीं दे पाता वक़्त खुदी को
  सेवा में वक़्त बिताता है
  चाय की चुस्कियों पर साहब
   इनका मंद मंद मुस्काता है 
पढ़े लिखे इन नादानों को
  कौन यहाँ समझाता है
  हे अफसरसाही तेरे आगे
  सारा देश सिर झुकाता है     

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