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  बीवी के सपने
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काश !! ..पतिदेव मेरे होते अलादीन का चिराग,
  हसरते पल में पूरी होती !
  न रहती कोई चिंता फ़िक्र किसी बात की,
  मेरी मन मर्जी होती !
  जब करता मन कुछ काम कराने का
  रगड़ा मारकर बुलाती !
  न होता कोई झनझट काम धाम का,
  सब क्षण में कराती !
  बनकर मेरा नौैकर वो सिर झुका के रहता,
  और मै हुकुम चलाती !
  बंगला, गाडी, धन दौलत होती बेसुमार,
  मै महारानी होती !
  कभी न बात मनवाने को लड़ना पड़ता,
  न खुशामद करती !
  दिन भर करती घर में आराम मजे से
  रात में पैर उससे दबवाती !
  घूमती हरपल उसको रखकर अपनी जेब में,
  जब चाहा तमन्ना पूरी कराती !!
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डी. के निवातियाँ ____________@@@
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