बुधवार, 20 मई 2015

फ़कीर

रह सागर में क्यों तलाश जल करे,
जो खुद गुलाब तमन्ना फूल क्या करे
हम ठहरे तबियत से मौला-ऐ-फ़कीर
लुटे कोई खजाने कुबेर हम परवाह क्यों करे…..!!

( डी. के. निवातियाँ )

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