मंगलवार, 26 मई 2015

मेरे ख़त का जवाब नहीं आया

मेरे ख़त का जवाब नहीं आया
बाल सफ़ेद हो गये, उम्र खर्च हो गयी
पर मेरे सवालों का जवाब नहीं आया

आज तो तेरी-मेरी मोहब्बत के
निशान भी मिट गये हैं,
समय की आंधी में हमारे सारे
किस्से दफ़न हो गये हैं,
हम भी पूरे खर्च हो गये
पर मेरे सवालों के जवाब नहीं आये

तेरा एक ख़त मिला था मुझको
एक अरसे पहले,
तूने मेरे सारे दोष, मेरी गलतियां, मेरी नाकामियाँ
सब मुझको ख़त में बताई थीं,
तूने लिखा था क्यों इस रिश्ते को खत्म किया तूने,
मैंने फिर ख़त लिखकर बस इतना पूछा था,
क्या तुमको कोई और मुझसा मोहब्बत करने वाला मिल जायेगा?
जब तक रहे, क्या कोई भी अच्छाई नहीं दिखी तुमको?
क्या यादों को मेरी भूला सकते हो तुम?
तेरा शिकायतों का खत तो मुझतक मरते दम तक रहेगा,
एक और जवाब के खत का इंतज़ार रहेगा

लिफाफा बंद करके तुम तक भेजा था
पर ना जवाब आया और ना मेरा भेजा
लिफाफा वापिस आया.

लेखक #चंद्रकांत सारस्वत

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