हाइकू । दिखे समाज ।
परम्पराएँ
गंगा नदी का तट
धोतीं है केश
ह्रदय रचे
अलौकिक दर्पण
दिखे समाज
छाये बादल
युवा करें आह्वान
बरसे ज्ञान
स्नेहो की जीत
निजता भी न खोये
सुन्दरताएं
रोता क्यों न्याय
चलो जलाएँ दीप
झूठा अन्याय
@राम केश मिश्र
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