शुक्रवार, 25 दिसंबर 2015

अंकल के भेष में है शैतान.....(रै कबीर)

देख नारी ! सुन ! ऐ बिटिया
सुरक्षित नहीं है अब ये दुनिया।।
बैठा जो तेरे घर में इंसान
नहीं !नहीं! वो है हैवान।।
रहम ना उसको आएगा
तुझे नोच नोच के खाएगा।।
अपनी हवस मिटाएगा
तेरा बचपन पी जाएगा।।
सुन लाडो तूं आँख का तारा
देना टाल हर उसका इशारा।।
बहाने टॉफी गर उसने पुकारा
अपना नहीं वो दुश्मन हमारा।।
मारेगा न पर भी परिंदा
जब आएगा वो दरिंदा।।
होगा कोई वो चुनिंदा
निगल जाएगा तुझको जिंदा।।
बहुत सीं बिटिया खो चुके हैं
फूट फूट के रो चुके हैं।।
ऐ निर्भया तू मेरी मान
भरोसे के लायक नहीं इंसान।।
देख! मर चुका है वो भगवान
और अंकल के भेष में है शैतान।।।।

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