प्यार,मौहब्बत के नाम से डरते है
  अपनो मे छिपे शैतान से डरते है
  जिन्दगी है दरिया, एक पतवार तो चाहिए
  प्यार के उठते तूफान से डरते है
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  आखो मे भडकते अंगार से डरते है
  प्रेम मे प्रेमी के दीदार से डरते है
  अश्लीलता ने डस लिया है इश्क को
  दरिन्दे के इश्क के अन्जाम से डरते है ।
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  कुटिलता रूपी चन्द्रहास से डरते है
  पीठ पीछे होते उपहास से डरते है
  दगाबाजी  की  दास्ताँए सुनी है लाखो
  रिश्ते मे धोखे के  इतिहास से डरते है ।

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