आज की नारी न अबला न बेचारी……
  अब शस्त्र उठाने की है बारी,
  रण मे डटकर लङी थी वो,
  ये बात इतिहास ने भी जानी,
  आज की नारी न अबला न बेचारी……..
चाँद को छुआ है उसने,
  आसमान मे भी परचम लहराया है,
  अपने हौसले का दम उसने हमे दिखाया है,
  आज की नारी न अबला न बेचारी…….
अब शस्त्र उठाने की है बारी,
  रण मे डटकर वो लङी,
   ये बात सबने जानी है,
   नही है क्षेत्र ऐसा कोई जहाँ नही है नारी,
  न है दुख की देवी न है अबला नारी,
  आज के भारत की आज है शसक्त नारी !

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