तन्हाइ– जब भी आसमान मे तारे चमकते है तो तेरी याद आति है ।
  जब कोइ मीठी सी गीत सुनाता है तो तेरी याद आती है ।
  बचपन का वह पढ़ना, बात -बात पे यू लड़ना ,
  रात मे साया देखके तेरा यु डरना , हर वह बात दिलाता है मूझे याद,
  के तू हमेसा से है हरपल मेरे साथ, तास्बिर बनके ही सही , जानता हू तू है ही नही।
  पर जाहा भी तू है मेरे बातो पर है न यकी।
  देख मै कितना हो गया हू बूढ़ा , पर अब भी याद है थोड़ा-थोड़ा ,
  तूने मागीं थी मुझसे एक चुटकी सिदूरं पर में तब तुझे दे न पाया।
  गुस्से से तूने मेरा हाथ छुराया, नदी मे डूब जाने का बहाना बनाया,
  पर मै था इतना ही नकारा की समझ नसका तेरा इसारा ,
  खेल-खेल मे ही तूने छीन ली मुझसे मेरा सहारा।
  देख आज मै हू एकदम अकेला , तेरी यादो ने ही मुझे साम्हाला।
  इतंज़ार कर रहा हू की उस पल का कब बुलाए ऊपरवाला।
  लेकर जाउगां सिदूर हाथ मे मेरा इतंज़ार करना , यहॉ न सही
  स्वर्ग मे ही सही विवाह हमे तो है करना। 
मंगलवार, 29 दिसंबर 2015
तन्हाई
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