मेरे हुस्न के चरचे तो,
  प्यार इश्क के परचे तो, गली गली मे आम है । 
दर्दे गम कि मधुशाला तो,
  छलका इश्क का प्याला तो, बदनामी तो आम है । 
अपनो मे तन्हाई तो,
  इश्क हो मिले जुदाई तो, चाहत तो गुमनाम है ।
  लफ्ज-ए-दर्द बया करे,
  प्रीत का रिस्क लिया करे, हुआ तबा तो आम है।

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