शुक्रवार, 25 दिसंबर 2015

गुनगुनाने लगी हूँ,,,,,,

खबर जब मिली उनके आने की
गीत कोई नया गुनगुनाने लगी हूँ,,,

दिल की बगिया भी महकी-महकी सी है,
सारी कलियाँ भी चहकी-चहकी सी
है,
खुशियों से कदम मेरे डगमगाने लगे हैं,
दिल की हालत भी बहकी -बहकी सी है,
देख आईने में खुद को शरमाने लगी हूँ,
गीत कोई नया गुनगुनाने लगी हूँ
ख़बर जब मिली,,,,,,,,,,

उनके आने की ख़ुशबू हवा लेके
आई,
फ़िज़ाओं में फिर से गूँज उठी शहनाई,
मस्ताना मौसम भी लेने लगा है अंगड़ाई,
चलने लगी है देखो प्यार की
पुरवाई,
इंतज़ार में पल -पल बिताने लगी हूँ
गीत कोई नया गुनगुनाने लगी हूँ
खबर जब मिली,,,,,,,,,,,

दिये उम्मीदों के पलकों पे जलने
लगे,
हज़ारों ख़्वाब मेरी आँखों में पलने
लगे,
रौशनी ही रौशनी बिखरी है चारों तरफ,
संग सितारे भी अब मेरे चलने
लगे,
चाँद -तारों से राहें सजाने लगी हूँ
गीत कोई नया गुनगुनाने लगी हूँ
ख़बर जब मिली,,,,,,,,,,,

चाँद की चाँदनी सा मेरा चेहरा
खिला ,
दिल में रहा न कोई शिकवा –
गिला,
सज रही हूँ मैं आज दुल्हन की
तरह,
ख़्वाब बनके हक़ीक़त आज मुझसे मिला,
आहट जो उनके कदमों की
सुनी
मैं सपने नये फिर सजाने लगी हूँ,
गीत कोई नया गुनगुनाने लगी हूँ
ख़बर जब मिली उनके आने की
मैं राहों पे पलकें बिछाने लगी
हूँ
गीत कोई नया गुनगुनाने लगी हूँ,,,,,!!!!!!
सीमा ” अपराजिता “

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