रविवार, 27 दिसंबर 2015

तुझे पाना मंजिल अगर है

सूना डगर है लम्बा सफ़र है,
चलते जाना राही तुझे किसका डर है !
छोड़ दुनिया का मोह-माया तू ,
तुझे पाना मंजिल अगर है !!

चलते रह चलते रह थकना नहीं तू ,
बस कुछ ही दूर में तेरा सपनो का शहर है !
न समझना अकेला तू खुद को दुनिया में ,
माता-पिता के दुआ तेरे साथ है !!

इस रणभूमी में संघर्ष तुझे करना है ,
जीत होगी जी तोड़ मेहनत करना है !
तू आज़ाद पंछी, नहीं किसी का बंधन ,
सपनो की गठरी लेके तुझे उड़ना है !!

आयेगी तूफ़ा तो न घबराना कभी तू ,
अचल साहस के आगे क्या कोई टिक सका है !
महकाना है धरा को छूना है आसमा को ,
मौका मिला है पीछे नहीं मुड़ना है !!

दुनिया को अपनी प्रतिभा आज दिखाना है ,
एक नयी इतिहास आज फ़िर से लिखना है !
तू सूरज भी है चांद भी है ,
इस जहा को रोशन तुम्हें ही करना है !!

Dushyant kumar patel

Share Button
Read Complete Poem/Kavya Here तुझे पाना मंजिल अगर है

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें