बुधवार, 23 दिसंबर 2015

***मै अधूरा हूँ * * *

याद तो तुझे आज भी करता हूँ मै
तन्हाई मे बैठकर आहे तो भरता हूँ मै
तेरे लबो की वो मुस्कान कातिलाना थी
याद कर तेरा आलिंगन आज भी निखरता हूँ मै
तुझे अपना बनाने को की थी जो जदोजोह
उतनी तेरी बेरूखी से डरता हूँ मै
कत्ल कर लू इससे तो मै खुद को
बस तेरी जुदाई से डरता हूँ मै
आगोश मे भरकर तुझे छिपा लू जग से
तेरे खोने के ख्वाब से डरता हूँ मै
तू नदिया बन आकर समा जा मुझमे
तेरी रूह की खुशबू से रोज संवरता हूँ मै
महखाने मे बैठकर पीना नही आता मुझको
तेरी नशीली आखों के जाम भरता हूँ मै
तेरी गुफ्तगू मेरा जरिया है जीने का
सादगी भरी अदाओं पर मरता हूं मै
चाँद को भी मात दे दे हुस्न तेरा
तेरी चांदनी में सैर करता हूँ मै
मै अधूरा हूँ तेरे बिन ए हमनसी
तुझे पाने की दुआए करता हूँ मै
मेरी नईया को लगा दे पार ए मल्लिका
तेरे दीदार को तरसता हूँ मै
आखों मे सैलाब भर आया है मेरी
रोज चू चू कर बरसता हूं मै ।

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