नही जीना हैं कल में ,
  जीना हैं मुझे आज में !
  आशा-विश्वास के  रंग ,
  घोलेंगे आज पल में !!
कल क्या थे भूल के ,
  मस्ती करेंगे  हरपल में !
  खुशियों की बिखेरेंगे फूल ,
  आज ज़िंदगी की गलियों में!!
झुलेंगे हवाँ के साथ ,
  दरख्त की डाल में !
  गीत गायेंगे झुमेंगे आज ,
  पुरवा की महकती शाम में !!
कौन जाने क्या होगा कल ?
  जीना है मुझे आज में !
  फिर ना मिलेगा ऐसा पल ,
  हैं स्वर्ग इस धरातल में !!
छोड़ दुनिया-दारी तू भी ,
  आ रंग जा आज में !
  जैसे जीना हैं जी  ले ,
  प्रतिब्ध न रह मोह में !!
Dushyant kumar patel
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