मंगलवार, 22 दिसंबर 2015

जीना हैं मुझे आज में !

नही जीना हैं कल में ,
जीना हैं मुझे आज में !
आशा-विश्वास के रंग ,
घोलेंगे आज पल में !!

कल क्या थे भूल के ,
मस्ती करेंगे हरपल में !
खुशियों की बिखेरेंगे फूल ,
आज ज़िंदगी की गलियों में!!

झुलेंगे हवाँ के साथ ,
दरख्त की डाल में !
गीत गायेंगे झुमेंगे आज ,
पुरवा की महकती शाम में !!

कौन जाने क्या होगा कल ?
जीना है मुझे आज में !
फिर ना मिलेगा ऐसा पल ,
हैं स्वर्ग इस धरातल में !!

छोड़ दुनिया-दारी तू भी ,
आ रंग जा आज में !
जैसे जीना हैं जी ले ,
प्रतिब्ध न रह मोह में !!

Dushyant kumar patel

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