GAZAL !
  मोतियों की तरह जगमगाते रहो 
  बुल बुलों की तरह चहचहाते रहो !
जब तलक आसमां में सितारें रहें 
  ज़िंदगी भर  सदा मुस्कुराते  रहो !
इन फ़िज़ाओं में मस्ती सी छा जाएगी 
  अपनी ज़ुल्फ़ों की ख़ुश्बू  उड़ाते रहो !
हम भी तो आपके जां निसारों में हैं 
  क़िस्सा- ए- दिल हमें भी सुनाते रहो !
देखना रौशनी कम न होवे कहीं  
  इन चराग़ों की लौ को बढ़ाते रहो !
इतनी खुशियां मिले ज़िंदगी में तुम्हे 
  दोनों हांथों से  सबको  लुटाते  रहे !
रंगे गुल रुख़ पे हरदम नुमाया रहे 
  जब  निगाहें  मिले  मुस्कुराते  रहो !
212 212 212 212
  shayar salimraza rewa
  9981728122

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