रविवार, 31 जनवरी 2016

चित्रकार......(रै कबीर)

चित्रकार वो ऐसा है हर रंग तुझे दिखलाएगा ।
पथ ये आगे कैसा है हर मोङ पे कुछ सिखलाएगा ।।
बस चलता जा तूं बिना थके ।
बिना रूके बिना झुके ।।
जीत लिया गर अपने मन को ।
समझो जीत लिया इस रण को ।।
चित्रकार ये लेता परीक्षा ।
रखना ध्यान में मेरी शिक्षा ।।
आखिर मांगे क्या चित्रकार ।
कङी मेहनत और परोपकार ।।
जब तक जाँ रहूंगा साथ ।
मजबूती से थामे हाथ ।।
बाद मेरे भी रखना हिम्मत ।
खुद हाथों से गढना किस्मत ।।
करके तप बनो औजार ।
आत्मबल ही है हथियार ।।
भरो खूबी से ऐ कलाकार ।
रंग जो भी दे वो चित्रकार ।।
( रै कबीर )

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