चित्रकार वो ऐसा है हर रंग तुझे दिखलाएगा ।
  पथ ये आगे कैसा है हर मोङ पे कुछ सिखलाएगा ।।
  बस चलता जा तूं बिना थके ।
  बिना रूके बिना झुके ।।
  जीत लिया गर अपने मन को ।
  समझो जीत लिया इस रण को ।।
  चित्रकार ये लेता परीक्षा ।
  रखना ध्यान में मेरी शिक्षा ।।
  आखिर मांगे क्या चित्रकार ।
  कङी मेहनत और परोपकार ।।
  जब तक जाँ रहूंगा साथ ।
  मजबूती से थामे हाथ ।।
  बाद मेरे भी रखना हिम्मत ।
  खुद हाथों से गढना किस्मत ।।
  करके तप बनो औजार ।
  आत्मबल ही है हथियार ।।
  भरो खूबी से ऐ कलाकार ।
  रंग जो भी दे वो चित्रकार ।।
                          ( रै कबीर )
रविवार, 31 जनवरी 2016
चित्रकार......(रै कबीर)
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