मंगलवार, 26 जनवरी 2016

"तेरे प्यार से"...

“तेरे प्यार से”

बारिश की सर्द रात ये,
तुम्हारी याद दिलाती है….
लौट भी आओ “जान” मेरी,
तन्हाई तुम्हे बुलाती है…

छम-छम करती ये बूंदे,
तेरे पायल का राग सुनाती है..
झोंके ये सर्द हवा के,
दिल मे आग लगाती है…
लौट भी आओ “जान” मेरी,
तन्हाई तुम्हे बुलाती है..

घुट-घुट के न मर जायें,
कहीं हम तेरी याद मे…
कहीं याद ही न रह जायें बनके,
हम तेरी याद मे..
हर दर्द रूह को छूती है,
बस तेरी याद मे…….
घुट-घुट के न मर जायें,
कहीं हम तेरी याद मे…

जब ज़िक्र करूँ मैं कोई भी,
लब पे तेरी बात आती है..
लौट भी आओ “जान” मेरी,
तन्हाई तुम्हे बुलाती है…

अब हार गया “इंदर” ये दिल,
तन्हाइयों की मार से….
कहीं नफ़रत न कर बैठूं मैं,
तेरे प्यार से…..

Acct-इंदर भोले नाथ…

addtext_com_MDA1NzMzMjU3Njkw

Share Button
Read Complete Poem/Kavya Here "तेरे प्यार से"...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें