मंगलवार, 26 जनवरी 2016

गीत- मेरा हिन्दुस्तान- शकुंतला तरार

मेरा हिन्दुस्तान
भोर सुनहरी लेकर जागा मेरा हिन्दुस्तान
किरणों ने ली अंगड़ाई आजाद हिन्दुस्तान||

नई डगर है नया सफर है
लगता सब कुछ नया नया
आजादी की प्रभाती आई
हर बच्चा बूढ़ा हर्षाया

गिरिराज हिमाला देता पहरा खुश हो आज मगन
नए रूप में आज सजा है मेरा हिन्दुस्तान||

अल्हड़ चंचल नव यौवना सी
मतवाली नदियां बहती
झर-झर बहते झरना निर्झर
डाल-डाल कोयल गाती

बागों में तितलियां देखती फूलों की मुस्कान
भौरे जहां करते गुंजन वो है मेरा हिन्दुस्तान||

भिन्न-भिन्न हैं धर्म जाति पर
आपस में भाई चारा
यहां गीता रामायण वेदपुराण
बहे गंगो जमन निर्मल धारा

इंद्रधनुषी रम्य छटा ले झूमता आज गगन
धन्य धन्य करती उसको जो है मेरा हिन्दुस्तान||
धन्य धन्य उस धरती को जो है मेरा हिन्दुस्तान||
शकुंतला तरार रायपुर (छत्तीसगढ़)

Share Button
Read Complete Poem/Kavya Here गीत- मेरा हिन्दुस्तान- शकुंतला तरार

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें