बुधवार, 27 जनवरी 2016

हवा का झोका - सोनू सहगम

-: हवा का झोका :-

जाने ये कौन सा रिश्ता है
जो मुझे तुझसे जोड़े रखता है

खामोशियाँ मेरे दिल की शोर मचाती है
बंद लफ्ज जो कभी कह न सके
हाले दिल ये ऑंखें कह जाती है
दिल बेचैन,धड़कने खामोश है
सांसों की चुभन ,आँखों का दरिया
अब मेरे आगोश है
हर पल जो मेरे साथ रहता है।

काश ! कोई हवा का झोका आये
मेरा हाले दिल तुम तक पहुंचाए
हर शय में अब तुम ही नजर आते हो
दिन का सकूँ,रातो की नींद
ले चुरा कर जाते हो
“सहगम” कुछ ऐसा हो जाए
जब जब आये याद तुम्हारी
ये हवा संग अपने तुझे ले आए
इतना ही अरमां इस दिल में रहता है।

(लेखक:- सोनू सहगम)

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