शुक्रवार, 29 जनवरी 2016

अक्षर

मत लिख कवि मूझे कोरे कागज पर कोई कागज गिला कर देगा ।
हाथ पाँव पोछ कर अपमान मेरा करदे गा॥

अ…….से अमर बन जाऊं ।

क्ष …….से क्षत्रिय बन जाऊं ।

र………से ऋषि बन जाऊं ।

ज्ञान ऋषि से ले लेना ।

मत लिख कवि..
त…………से बनूं तकदीर किसी की ।

फ…………से फाँसी बन जाऊँगा ।

मत लिख कवि……
धूल भरी है उस न्याय मन्दिर में मट मैला हो जाऊँगा ।
तकदीर वाला फट गया पन्ना किसी सज्जन को फाँसी दिलाऊगां ॥
मत लिख कवि ……..
मटमैला पन्ना पङ गया धरती पर अब तो कोई बाहर कर देगा ।
रद्दी वाले के लग जायेगा हाथ तो जिल्द या ठूमा कर देगा ॥
मत लिख कवि ………
आया किसी मिलावटखोर के हाथ तो जहर या नशा भर देगा ।
मर जाए कोई इन्सान तो अपमान मेरा कर देगा ॥
मत लिख कवि ….

अक्षर ने कविराज को बहूत समझाया

ज्ञान ऋषि का समझ मे नहीं आया.
कविराज ने दिमाग घूमाया ।

अमर शहीद जुबान पर आया लक्ष्मण अमर नाम कर लेगा ॥
मत लिख कवि ……

Share Button
Read Complete Poem/Kavya Here अक्षर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें