मेरी जो मह्बूब है फूल वो गुलाब है,
  मै तो हू बस एक काटा,पर कांटो से उसे प्यार है
  वो कह्ती है,जो तू न होता मेरी क्या औकात है,
  हर आने-जाने वाला मुझे मसलता,तू ही तो मेरा पहरेदार है
कभी मै सोचू वो कमल है,जो कीचड मे भी पाक है
  मै तो हू बस गन्दा कीचड,पर कीचड से उसे प्यार है
  वो कहती,औरो के लिए तू कीचड होगा,मेरा तू आधार है
  तुम बिन मै कही रह न पाऊँ,तू मेरा घर सन्सार है.
कभी है वो रात की रानी,जो महके सारी रात है
  मै तो हू बस घोर अन्धेरा,पर अन्धियारो से उसे प्यार है
  वो कह्ती औरो के लिए तू होगा अन्धेरा,मेरा तो तू साथी है
  रातो को जब सब सो जाए,बस तू ही मेरा हमराही है
अब क्या कहु उसके बारे मे,वो तो छूई-मुई सी है
  कोई भी छू ले तो शर्मा के मुरझा जाती है
  वो कह्ती है,तु तो है पवन का झोका,तुझसे क्या शर्माना है
  तु तो मेरे अंग -अंग  मे बसता,जब तु मुझको छू जाता है

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