रोना नहीं मेरे दोस्तों,
  हमें हँसना है और हँसाना है l
  भले ही लाख गम आए हमारी राहों में,
  हर पल जशन मनाना है ll
  रोना नहीं मेरे दोस्तों ———
ग़म के धिमक को हावी न होने देना,
  कर देगा तुम को अन्दर से खोखला l
  किसी और दिल को उजाड़ न पाए यह धिमक,
  इस धिमक को मार गिराना है ll
  रोना नहीं मेरे दोस्तों ———
छोड़ दो ऐसे रेत के मकान बनाने,
  जो पल में ढह जाए l
  पोंछ दो ऐसे आंसू जो जूही वह जाए l
  जिन्दगी मिली है मुश्किल से, मज़ा लूटो !
  आज में जिओ आज का ज़माना है ll
  रोना नहीं मेरे दोस्तों ———
ऊपर उठना होगा गहरे वहते दरिया से,
  और जीना होगा अपने लिए,
  अपने अपनों के लिए l
  यूँ ही नहीं छोड़ेगे यह उजड़ा चमन,
  इसे फिर से बसना है ll
  रोना नहीं मेरे दोस्तों ———
यूँ ही कुरेद कर चला जाए,
  कोई हमारे जख्मों को
  यह हमें गवारा नहीं l
  तू नहीं तो कोई और सही,
  और नहीं तो कोई और सही l
  ग़म देने वालो को यह सवक सिखाना है ll
  रोना नहीं मेरे दोस्तों ———
संजीव कालिया
Read Complete Poem/Kavya Here हँस ले ऐ मुसाफ़िर
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