सोमवार, 25 जनवरी 2016

जीवित है

जीवित है
कुछ करना है कर जा
न तुच्छ बन
न तुच्छ समझ किसी को
मृत्यु की ना ख्वाहिश कर
जी, और जी जा
वक़्त है अभी तो
दुआ कर
कल की ज़िन्दगी बन जा
बेहतर समाज की कल्पना कर
उसे हकीकत कर जा
तरसेगा हर लम्हे को
जो है बिताया
जब नहीं रहेगा कुछ खोने को
जब नहीं रहेगा कुछ पाने को
एक अहसान कर
खुदपर, मुझपर
इंसान बन
इंसानियत सिखा जा
जाने से पहले
अपने पीछे
कुछ नम पलकें
और चार मज़बूत
कंधे बुन जा
न व्यर्थ कर खुद को
ज़िन्दगी के अर्थ को
दुनिया जो कहानी पढ़े तेरी
ऐसा इतिहास बदल की
खुद इतिहास बन जा_!

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