लड्डू बैड से गिरी धङाम
  मचा बवाल पूरे घर में ।
  सबकी हो गई नींद हराम
  और बजा ढोल मेरे सर में ।।
  खुद देते हो नहीं ध्यान ?
  और बांटते हो हमें ज्ञान!
  ठीक है भई गलती हो गई
  इतना भी क्या गुस्सा करना ।
  देखो अब लड्डू भी सो गई
  चुपचाप सो नहीं तो वरना ।।
  ऐसे नहीं मैं डरने वाली
  छोड़ दो ये धमकी देना ।
  सुबह बुला लो कामवाली
  उसी से सारे काम लेना ।।
  ऐसे क्यों करती हो जानूं
  मैं चला रहा था फोन ।
  तुमको ही तो सबकुछ मानूं
  तुम बिन ध्यान रखे कौन ।।
  ये लो अब तो गया नेटवर्क
  फोन को भी कर दिया है बंद ।
  अधूरे रह गए सारे चैटवर्क
  ना कोई लेख ना कोई छंद ।।
रविवार, 31 जनवरी 2016
फिर से खटपट.....(रै कबीर)
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