रविवार, 31 जनवरी 2016

फिर से खटपट.....(रै कबीर)

लड्डू बैड से गिरी धङाम
मचा बवाल पूरे घर में ।
सबकी हो गई नींद हराम
और बजा ढोल मेरे सर में ।।
खुद देते हो नहीं ध्यान ?
और बांटते हो हमें ज्ञान!
ठीक है भई गलती हो गई
इतना भी क्या गुस्सा करना ।
देखो अब लड्डू भी सो गई
चुपचाप सो नहीं तो वरना ।।
ऐसे नहीं मैं डरने वाली
छोड़ दो ये धमकी देना ।
सुबह बुला लो कामवाली
उसी से सारे काम लेना ।।
ऐसे क्यों करती हो जानूं
मैं चला रहा था फोन ।
तुमको ही तो सबकुछ मानूं
तुम बिन ध्यान रखे कौन ।।
ये लो अब तो गया नेटवर्क
फोन को भी कर दिया है बंद ।
अधूरे रह गए सारे चैटवर्क
ना कोई लेख ना कोई छंद ।।

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