निर्भया केस में तीसरे अपराधी को रिहा किया गया उस दुःख में लिखी गयी है ये कविता
            बेटी कहती है
  माँ मुझे आने दे बनूँगी तेरी परछाई
  माँ मुझे पढने दे बनूँगी पिता की लाठी
             माँ कहती है
  परी! तुझे कैसे आने दूँ, मेरा ही जीना मुश्किल है
  तू पढ़ेगी कैसे बता? तेरा शिक्षक ही भक्षक है
  अब नहीं कही गुरुर्ब्रह्मा , गुरुर्विष्णु
              बेटी कहती है
  माँ मुझे खिलने दे बनूँगी झाँसी की रानी
  माँ मुझे आने दे करुँगी तेरे दुःख दूर
               माँ कहती है
  लाडो, तू क्यों चाहे इस दुनिया को देखना
  मैं ना देख पाऊँगी तेरे आँखों में आँसू
  तुझे मैं कैसे कहु निर्भया की कहानी
              बेटी कहती है
  मैंने जानी निर्भया की कहानी
  माँ मुझे ना आने दे बनूँगी फिर से एक जानवर की शिकार
  माँ मुझे मृत्यु दे, ना भूलूंगी तेरा उपकार
  माँ मुझे ना आने दे ……………….
  माँ मुझे ना आने दे ……………….
   – काजल / अर्चना

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