रविवार, 31 जनवरी 2016

"लल्ला"......इंदर भोले नाथ ...

“लल्ला”

उस दिन इंटरव्यू के लिए जाना था अमन को, किसी कंपनी से कॉल आया था ! जल्दी से तैयार होकर वो स्टेशन पहुँचा, अभी १५-२० मिनट का समय था, लोकल ट्रेन के आने मे….!
टिकेट लेके अमन वेटिंग रूम मे बैठकर ट्रेन का इंतेज़ार करने लगा ! तभी एक मासूम सा बच्चा जिसकी उम्र यही कोई ६-७ साल की होगी,फटा सा कमीज़ पहने वेटिंग रूम मे आकर लोगों के आगे चन्द सिक्कों के लिए हाथ फैलाने लगा ! या यूँ कहे के भीख माँग रहा था,
कोई उसपे ध्यान नही देता तो कोई दुत्कार देता या गलियाँ दे कर भगा देता था ! फिर भी वो बच्चा हर अगले के सामने हाथ फैला देता था ! किसी ने २-४ रुपये दिए भी थे….क्योंकि चन्द सिक्के उसके हाथों मे दिख रहे थे ! यूँ ही माँगते हुए वो अमन के पास आया, और उसके पैर छू के उससे पैसे माँगने लगा ! अमन ने उसे वो खाना देना चाहा जो खाना वो घर से लेकर चला था रास्ते मे खाने के लिए ! अमन ने उसकी तरफ वो खाने का थैला बढ़ा दिया ! उसने मना कर दिया खाना लेने से, और बोला भैया मुझे खाना नहीं चाहिए मुझे पैसे चाहिए !
अमन ने कहा पैसे से तुम खाना ही खरीद कर खाओगे…. ! नहीं मुझे पैसे की ज़रूरत है ! फिर अमन ने उसे पर्स से ५ रुपये का नोट निकाल कर दिया.. वो बहुत खुश हुआ ५ रुपये का नोट देखकर, पैसे लेकर बोला भैया ये खाना भी ले लूँ…… अमन ने खाना भी उसे दे दिया ! खाना लेकर वो जाने लगा, दुबारा अमन ने उसे अपने पास बुलाया, और उसका नाम पूछा ! बोला माँ मुझे “लल्ला” कह के बुलाती है, मेरा नाम “लल्ला” है !
कहाँ है तुम्हारी माँ और क्या करती हैं…. अमन ने उससे पूछा……..!
वो रोने लगा और रोते हुए बोला मेरी माँ को बुखार है, २ दिनों से सोई हुई है ! वो काम पर भी नहीं जाती है, खाना भी नहीं बनाती, घर मे कुछ खाने को भी नहीं है….मैने कल से कुछ नहीं खाया ! बहुत भूख लगी है मुझे………..अमन ने पूछा तुम्हारे पापा कहाँ है…………!
वो बड़े मासूम से लहजे मे बोला……पापा तो मर गये, बहुत दिन पहले….माँ कहती है ! तब मैं बहुत छोटा था…..उसकी ये बातें सुनके दिल भर सा आया अमन का…!
अमन ने कहा खाना ख़ालो, उसने कहा नहीं…घर ले जाके माँ के साथ खाउँगा ! और इन पैसों से दवा ख़रीदुउँगा, माँ को बुखार है न….इसलिए……………………………उस मासूम से बच्चे का अपने माँ के प्रति प्यार देख कर दिल भर गया अमन का………!

दो दिनों से तो ये भी भूखा है, इसने भी दो दिनों से कुछ नहीं खाया, फिर भी खाना अकेला न खाकर माँ के साथ ही खाउँगा कह रहा है ! इतनी सी उमर मे कितनी बड़ी सोच रखता है..धन्य है वो माँ “लल्ला” जिसने तुझे पैदा किया ! अमन अपना इंटरव्यू भूल गया,और उसके साथ उसके घर गया !
एक छोटी सी बस्ती थी, मुश्किल से १० या १२ घर होंगे उस बस्ती मे ! उसी बस्ती मे एक छोटा सा कमरा था, कुछ चीज़ें इधर-उधर बिखरी पड़ी थी ! वहीं फर्स पे एक महिला मैले-कुचले एक पुरानी सी साड़ी पहने हुए कमरे के एक कोने मे लेटी हुई थी ! जिनकी उम्र तकरीबन २५-२८ साल की होगी….पर ग़रीबी की थपेड़ों और किस्मत की मार से ५० साल की लग रही थी !
अमन ने पास जाकर देखा,बहुत तेज बुखार था,शरीर तप रहा था !
अमन कमरे से बाहर आया और स्टेशन की तरफ चल दिया,स्टेशन के बगल मे एक छोटा सा क्लिनिक था ! वहाँ से डॉक्टर साहब को लेके अमन सीधा “लल्ला” के घर आया ! डॉक्टर साहब ने चेक-अप कर के एक इंजेक्सन और कुछ दवा दिए खाने को !
और कहा शाम तक ठीक हो जाएँगी, अमन ने डाक्टर साहब को पैसे दिए ! डाक्टर साहब के जाने के बाद, अमन “लल्ला” को बोला !
“लल्ला” तुम्हारी माँ शाम तक ठीक हो जाएँगी ! कुछ देर तक अमन वहीं रहा,उनकी अवस्था कुछ ठीक हुई !
तो उन्होने बताया के उनके पति का ४ साल पहले देहांत हो गया,पास के गाव मे बड़े लोग रहते हैं ! उन्ही के यहाँ झाड़ू-पोछा करती हूँ तो कुछ पैसे मिल जाते है !

फिर अमन ने कहा अच्छा अब मैं चलता हूँ, मुझे इंटरव्यू के लिए जाने हैं !
ये कुछ पैसे हैं,रख लो आप ! उसने बहुत सारी दूवाएँ दी अमन को, और भगवान से उसकी लम्बी उमर के लिए दूवाएँ मांगती रही !

अमन बाहर आकर “लल्ला” को अपने पास बुलाया और बोला “लल्ला” अब न जाना स्टेशन पर तुम्हारी माँ शाम तक ठीक हो जाएँगी ! फिर वो काम पर भी जाएँगी और तुम्हारे लिए खाना भी बनाएँगी…!!

फिर अमन स्टेशन की तरफ चल पड़ा, दिल मे एक ही नाम लिए………………………………..”लल्ला”

Acct- इंदर भोले नाथ..१५/०४/२०१५..(IBN)

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