सर्वोतम हूँ में
इस दौड़ में
  जानवर हो गया इन्सान
  भले बुरे की छोड़ पहचान
  हो गया हूँ महान
सर्वोतम हूँ में
  इस दौड़ में
  दुसरो को नीचा दिखाता गया
  खुद का परचम लहराता गया
  दिल को बहलाता गया
सर्वोतम हूँ में
  इस दौड़ में
  नशे में चूर हो गया था मय के
  भूल गया था मायने भय के
  बस दौड़े जा रहा था
सर्वोतम हूँ में
  इस दौड़ में
  कुछ अपने थे जो समझाते रहे
  मेरे जहन से रुकावट समझ बहते रहे
  वो फिर भी अपना कहते रहे
सर्वोतम हूँ में
  इस दौड़ में
  सर्वोतम हूँ में
  इस दौड़ में
सर्वोतम हूँ में
  इस दौड़ में
#
  सर्वोतम की होड़ में
  मंजिल पर अकेला होगा तू
  दुनिया छोटी आएगी नजर
  कोई बराबरी को नहीं होगा बेशक

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