शनिवार, 23 जनवरी 2016

रज़ा

मर्ज़ी खुदा की, मर्ज़ी खुदा की
केहते केहते
बन्दों को उसके वो तौलते है
क्या हकीकत
और क्या है अफ़साना
मेरे बिरादर ज़रा मुझ को भी समझाना
गर सब उसीकी मर्ज़ी है
तो फिर कैसा पछताना
काफिर नमाज़ी
का ये शोर क्यों मचाना
गर रज़ा है ये उसकी
तो क्यों उस पर सवाल उठाना
मर्ज़ी खुदा की मर्ज़ी खुदा की
का खोखला
रटन क्यों लगाना क्यों लगाना???

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