छठ मइया आइल बाड़ी चौका चंदन सजाईला,
  चढ़ाईला फल फूलवा दौरी बहँगी लचकतजाला|
  अपने द्वारे गंगाजी राउरे बोलावेली गीतिया गाके ,
  मनौती मनाइला हो सूरज के रथवा बोलायला |
  छठ माँ अरघिया चढ़ाईला हो जीवन संवारीला,
  हमहूँ के कछारन बुलाईला माई दर्शन दिखाइदा ||

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें