तुम रहो न रहो, पर तुम्हारे ख्यालात रहेंगे !
जज्बातों से महकते गुलिस्ता आबाद रहेंगे !!
चले जाना है सबको एक दिन हस्ती मिटा के !
मगर तुम्हारे नग्मे दिल को सदा याद रहेंगे !!
ले आये हो कहाँ से कहाँ इस अहले चमन को
तुम्हारे इस जज्बे के किस्से सदा आम रहेंगे !!
कैसे भुला पाएंगे हम तुम्हारी कुर्बानियो को !
खुद को मिटा के बनाये रास्ते तेरे नाम रहंगे !!
हर गम, हर जुदाई को सहना हमे आता है
मगर सीने में तेरे नाम के शोले दहकते रहेंगे !!
तूफानों से डटकर करेंगे मुक़ाबला अंत तक
तेरे जलाये चिराग रोशन- ऐ -आबाद रहेंगे !!
माना है तुमको “धर्म” ने अपना हमसफ़र !
अब तेरे नक़्शे कदम पर हम चलते रहेंगे !!
!
!
!
!!____डी. के. निवातियाँ ___!!
Read Complete Poem/Kavya Here आबाद रहेंगे.........
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें