उसके आँसू मुझ तक आते-आते शब्द बन गए और मैने उन शब्दोँ को कर लिया कलमबद्ध और वे आँसू कैद है आज उन कोरे कागज के पन्नोँ मेँ जो मेरी जिँदगी से भी अलग तो नहीँ है।
–मंजु ईणखिया 23PS-C रायसिँहनगर
बहुत ही अच्छी कविता।
बहुत ही अच्छी कविता।
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