बुधवार, 2 दिसंबर 2015

आँसू

उसके आँसू
मुझ तक आते-आते
शब्द बन गए
और मैने
उन शब्दोँ को
कर लिया कलमबद्ध
और वे आँसू
कैद है आज
उन कोरे कागज के
पन्नोँ मेँ
जो मेरी जिँदगी
से भी
अलग तो नहीँ है।

मंजु ईणखिया
23PS-C
रायसिँहनगर

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