शनिवार, 5 दिसंबर 2015

छोड़ो बाते सहनशीलता की.....

छोड़ो बाते सहनशीलता की, यहां मानवता हर इंसान की देख ले
इतना भी बुरा नही मेरा चमन, एक बार मेरी आँखों से देख ले !!

भूल गया क्यों युद्ध पैसठ का पाक ने धावा बोला था
कूद गया रणभूमि में निडर होकर दुश्मन पे टूट पड़ा
नाम था “वीर अब्दुल हमीद” पैटर्न टैंको से खेला था
जान गँवा दी रक्षा में जरा उसकी कुर्बानी भी देख ले !

छोड़ो बाते सहनशीलता की, यहां मानवता हर इंसान की देख ले
इतना भी बुरा नही मेरा चमन, एक बार मेरी आँखों से देख ले !!

देखो जरा उस हिमालय को सीना ताने रहता है
देश रक्षा में सबसे पहले जिसने दुश्मन को झेला है
घायल हुआ वो खून से लथपथ अपने ही लालो के
गोला बारूदों से छलनी सीना उसका आज भी देख ले !!

छोड़ो बाते सहनशीलता की, यहां मानवता हर इंसान की देख ले
इतना भी बुरा नही मेरा चमन, एक बार मेरी आँखों से देख ले !!

रोज मरते कई सैनिक सरहदो पर सबकी रक्षा करते है
याद नही उन्हें जाति धर्म की बस देश की सेवा करते है
सह जाते है दर्द असहनीय जो माँ, बाप, पत्नी बनकर
जाकर एक बार उनके भी घ,र उनकी हिम्मत देख ले !!

छोड़ो बाते सहनशीलता की, यहां मानवता हर इंसान की देख ले
इतना भी बुरा नही मेरा चमन, एक बार मेरी आँखों से देख ले !!

सबका पेट भरने वाले किसान मरने को मजबूर है
गरीबी का असली शिकार आज देश का मज़दूर है
सब कुछ सहते फिर भी रहते देश में अभिमान से
ज़रा देव भूमि पर हाल इनका,एक नजर घुमाकर देख ले !!

छोड़ो बाते सहनशीलता की, यहां मानवता हर इंसान की देख ले
इतना भी बुरा नही मेरा चमन, एक बार मेरी आँखों से देख ले !!

ऐशो आराम में रहने वालो अय्यास जिंदगी जीने वाले
नेता हो या अभिनेता हो सब जनता का लहू पीने वाले
भूखे नंगे, लोग आज भी, देश में होता नारी शोषण
कभी जनता का खस्ताहाल जमीनी स्तर पर जाकर देख ले !!

छोड़ो बाते सहनशीलता की, यहां मानवता हर इंसान की देख ले
इतना भी बुरा नही मेरा चमन, एक बार मेरी आँखों से देख ले !!
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0—- डी. के. निवातियाँ —–0

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