गुमसुम यूं ना बैठिये
  बोलिए कुछ तो बोलिये
  आए हो जब से
  इस दिल में
  बहार छाई हैं
  मन उपवन में,
  मगर बैठो हो
  ऐसे चुप क्यों ?
  पंछियों की तरह चहकिये,
  गुमसुम यू ना बैठिये ।
  विराने हुए गुलिस्तां
  फकीर बने बादषाह
  हाथ अपना दे दो हमें
  हो जायें हम भी आबाद
  मांग रहे हैं तुम से कुछ
  अंजलि भरकर दीजिए,
  गुमसुम यू ना बैठिये ।
       -ः0ः-

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