शुक्रवार, 30 अक्तूबर 2015

Garib Panktiya

गरीब पंक्तियां

मेरी कविता की
चंद पंक्तियां,
फूलों की भांति
महकती हुई-सी
जीर्ण-शीर्ण कपड़े पहने
मुंह पर चमक-दमक लिये
सूरज की लाली-सी लाल
हरियाली-सी हरी-भरी
हर शब्द चंचल होकर
तेरे होठों को छूने हेतु
घुमेंगे तेरे ईर्द-गिर्द
नाचेंगे-लहरायेंगे
फिर ऐसे गीत बन कर
दुनियां में छा जायेंगे
फुलेंगे-फलेंगे
तुमसे घुल-मिल जायेंगे
मेरे अधूरे गीत ये प्रिये
तुमसे मिलने आयेंगे
हरदम आगे-पिछे घुमेंगे
तेरा साथ हर समय पायेंगे
ऐसा नही कि-……..
लेंगे तुमसे ये कुछ
सुकून शांति ओर इज्जत
तुमको देकर ये जायेंगे।
-ः0ः-

Share Button
Read Complete Poem/Kavya Here Garib Panktiya

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें