गरीब पंक्तियां
मेरी कविता की
  चंद पंक्तियां,
  फूलों की भांति
  महकती हुई-सी
  जीर्ण-शीर्ण कपड़े पहने
  मुंह पर चमक-दमक लिये
  सूरज की लाली-सी लाल
  हरियाली-सी हरी-भरी
  हर शब्द चंचल होकर
  तेरे होठों को छूने हेतु
  घुमेंगे तेरे ईर्द-गिर्द
  नाचेंगे-लहरायेंगे
  फिर ऐसे गीत बन कर
  दुनियां में छा जायेंगे
  फुलेंगे-फलेंगे
  तुमसे घुल-मिल जायेंगे
  मेरे अधूरे गीत ये प्रिये
  तुमसे मिलने आयेंगे
  हरदम आगे-पिछे घुमेंगे
  तेरा साथ हर समय पायेंगे
  ऐसा नही कि-……..
  लेंगे तुमसे ये कुछ
  सुकून शांति ओर इज्जत
  तुमको देकर ये जायेंगे।
         -ः0ः-

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