ब्रह्मक्षस को आज ,मैंने देखा
  खडगपूर के सड़क पर!
  यह नहीं जिसे
  मुक्तिबोध ने अँधेरे तालाब में बन्द किया था।
  परंतु,यह भी उन्हीं परिस्थितियों से पैदा हुआ।
  जिससे न जूझ सकने के कारण
  ब्रह्मराक्षस ने अपना शरीर छोड़ा था,
  वह मरा था।
वह मरा था,
  उसकी आत्मा जिन्दा थी
  यह तो स्वयं ही जिन्दा है
  इसकी सांसे भी है,शरीर भी
  आत्मा भी जिन्दा है,कोशिशें जारी है।
  यह तो वह है जो न मरता है,
  और न जीत ही है।
यह वो है जो आज भी लड़ रहा है
  बदलने के लिए(भारत के समाज को)
  उस स्वप्न को साकार होते देखने के लिए
  जो मन्टो ने देखी थी,
  जो आज भी परियों की ख्वाब सी है
  यह तो वह है जिसे किसी तालाब में भी जगह नही मिली।
प्रयास अब भी जरी है
  आजादी का स्वप्न आज ब्रह्मराक्ष पर भी भारी है।
  यह वह आम आदमी (जनता) का रूप है
  जिसे मजबूत पंजे ने (राजनेताओं) फिर फिर दबाना चाहा।
भारत आजाद तो हुआ ,
  गोबिंद की गुलामी है।
  क्या नाम दूँ?
  क्या नाम दूँ, उस ब्रह्मराक्षस के रूप का
  यह तो उसी का वंसज है
  जो आज भी ,
  आज भी बन्द है उस अँधेरे ताल में।
  उसने चाहा था समाज को बदलना,
  सक्षम था,
  “कबीरवाणी ” उसे झूठी लगी
  टालता गया बात कल पर
  और चल बसा,
  क्या हुआ?
  अरे होना क्या था!
  मुक्ति मिली नहीं!
  बन्द कर दिया गया अँधेरे तालाब में।
वहीं इसकी बात,
  सक्षम भी,
  अस्त्र-शस्त्र से परिपूर्ण
  करता है अनगिनत कोशिशें
  कोई साथ नही देता
  वह जीवित होकर भी पल पल मरता है।
फर्क बस इतना,एक मर गया
  एक मर मर कर जीत है
  समाज को बदलने की कोशिश ही इसे मार डालती है।
पांडवों की सी हालत है आज
  उसकी सभा में,
  वे तो पांच थे
  यह अकेला
  चीखता है, चिल्लाता है
  बेचैन और दुरुस्थ
  सिमित सभा में पांच की न चली
  इसकी सभा ही असीमित है
  कौरव केवल 100 नहीं
  अनगिनत है
  फिर भी,
  फिर भी ये कोशिशें करता है
  नहीं,खुद को बचाने की नही
  समाज को बदलने की,
  लोगो के तुच्छ विचारो को बदलने की
  आजाद देश को आजाद कराने की!!
  नारी के इज्जत को बचाने की
  उन्हें सम्मान दिलाने की।
  द्रोपदी को तो बचा लिया था कृष्ण ने,
  कलयुग में “कलकी” का भी पता नहीं।
ब्रह्मराक्षस असफल होते होते बूढ़ा हो गया
  उसकी चेतना खो गयी
  शरीर जिन्दा है
  आत्मा फिर भी पवित्र
  करता है कोशिशे
  पर सब,बेकार!
  वह चिल्लाता है
  स्वयं को नही,
  समाज को,
  देश को बचाने के लिये
  माता के रूप को
  श्रेष्ठ करार दिलाने के लिए।
“भारत माता की जय” कहता है
  “इन कलाब जिंदाबाद” कहता है
  पर लोग उसे देखकर हँसते है
  ठहाके लगाते है।
वह गुस्से फुँफकारता है
  फिर कहता है।
  इन क्लाब  जिंदाबाद
  भारत माता की जय
  लोगो को दुत्कारता है,
  “भगवान् तेरा सत्यानाश करे”।
  आदमी के रूप मे राक्षसों
  तूने देश को डुबाया।
  “अब तू डूब”
  पहले तू मर
  इंसान बन कर फिर से जन्म ले
  तब मिलेगी
  “मुझे मुक्ति”
  रोशनी कुमारी

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