प्रिये तेरी खूबी
आंखों में नव-ज्योति प्रभा
  होठों पर यामिनी छटा
  तन मधु से ओत-प्रोत
  मन में तेरे विलाषिता।
  बालों में रात,
  नैनांे में भोर
  तन पे उजाला छाया है
  कंठ में साज
  वाणी में राग,
  रोआंे में नृत्य आया है
  अपने मीत से करके प्रित
  लाई सावन की रौनकता
  तन मधु से ओत-प्रोत
  मन में तेरे विलाषिता।
  टपके शराब
  हर अंग-अंग से
  होठ सुरा के प्याले हैं
  बिना पिलाये
  खुद नशा चढे़
  ऐसे नैन मतवाले हैं
  फिकी लगे प्रकृति देखो
  ऐसी है मेरी प्रेमिका
  तन मधु से ओत-प्रोत
  मन में तेरे विलाषिता।
  तन सुघड़
  छोटे कर्ण
  रंग हल्का गुलाबी है
  होंठ लाल
  मदमस्त चाल
  नाक खड़ी गुलाबी गाल
  भाल पर चमचमाती बिन्दी
  सज कर आई प्रियतमा,
  तन मधु से ओत-प्रोत
  मन में तेरे विलाषिता।
        -ः0ः-

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें