मंगलवार, 27 अक्तूबर 2015

कवि महोदय............!!

कवि हूँ, कल्पित बाते करना मेरा काम,
ध्येय नही मेरा करना किसी को बदनाम !!
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सुनो बात
जब हुई अपनी
एक कवि से मुलाकात
बोला वो शान से,
मै रचानाएँ रोज़ लिखता हूँ
प्रतिक्रियाओ का भी
बेसब्री से इंतज़ार करता हूँ
मिलता है सुकून
जब कई बड़े कवि, लेखक
और विचारक,
बड़े वक्तव्यों में जो
मेरी पीठ थपथपाते है,
मत पूछो कैसे
मेरे मन में पुष्पों के
चमन खिल जाते है,
!
बरबस मैंने पूछ लिया,
सुनकर बहुत अच्छा लगा
तुम भी एक कवि हो,
दुसरो की रचनाये
अवश्यमेव पढ़ते होंगे
और शिष्टाचार वश
उनकी सराहना करते होगे !!
!
ताव में बोले,
मै अच्छा लिखता हूँ
तभी तो प्रशंशा का पात्र बन पाता हूँ
अब आप ही बताओ
इतनी व्यस्तता में भला कैसे
मुझे किसी की रचना पढ़ने की
कैसे फुर्सत होगी !
मै तो बस लिखता हूँ
अपनी व्यस्तता में मस्त रहता हूँ !!
!
मेरे मुख से अनायास ही
निकल पड़ा,
!
धन्य हो कवि महोदय आप !
कवि श्रेणी में हो सबके बाप !!
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